उर्वरक एवं खाद

पादप पोषक तत्वों को मिट्टी में शामिल किए बिना लगातार फसलचक्र अपनाने से मिट्टी में मूल स्रोतों में कमी आती है जिससे फसल की उपज प्रभावित होती है। इसलिए यह जरूरी है कि टिकाऊ लहसुन उत्पादन के लिए बाह्य स्रोतों के माध्यम से मिट्टी में पादप पोषक तत्वों को शामिल किया जाए। जैविक खाद के माध्यम से पादप पोषक तत्व मिलते हैं और मृदा के जैविक कार्बन, भौतिक पर्यावरण एवं सूक्ष्मजीव सक्रियता में सुधार आता है। अखिल भारतीय प्याज एवं लहसुन अनुसंधान नेटवर्क परियोजना के तहत विभिन्न स्थानों पर आयोजित खेत परीक्षणों के आधार पर 75 किग्रा. नाइट्रोजन/हे. के समतुल्य दो अथवा तीन जैविक खाद (पोल्ट्री खाद 7.5 टन/हे. अथवा वर्मी कम्पोस्ट 7.5 टन/हे. या गोबर की खाद 15 टन/हे.) के संयोजन के साथ 75: 40: 40: 40: 40 किग्रा. के अनुपात में क्रमशः नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटासियम व सल्फर/हे. का अनुप्रयोग करने की सिफारिष बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडि़शा, राजस्थान एवं तमिल नाडु (ऊटी) के लिए की गई है। वहीं हरियाणा, उत्तराखण्ड़ तथा उत्तर प्रदेश राज्य में 100: 50: 50: 50: 50 किग्रा. के अनुपात में क्रमशः नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटासियम व सल्फर +20 टन गोबर की खाद/हे. का अनुप्रयोग करने की सिफारिश की गई है। अंतिम बार जुताई करने से पूर्व सुझाए गए जैविक खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। नाइट्रोजन की एक तिहाई एवं फॉस्फोरस, पोटासियम एवं सल्फर की पूरी मात्रा को रोपाई के समय आधारीय खुराक के रूप में उपयोग में लाया जाए। नाइट्रोजन की शेष दो-तिहाई मात्रा को दो बराबर भागों में बांटकर रोपाई के 30 एवं 45 दिन पश्चात प्रयोग किया जाए। प्रमुख पोषक तत्वों के अलावा, सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण ¼Fe : 0.5%, Zn : 0.5%, B : 0.25%, Cu :0.25% तथा Mn : 0.5 %½ का पर्णीय अनुप्रयोग रोपाई के 30, 45 एवं 60 दिन पश्चात किया जाए। सूक्ष्म पोषक तत्वों के अनुप्रयोग से कंदीय उपज में 5-7 प्रतिषत तक वृद्धि होती है।

जैव-उर्वरक

 जैव-उर्वरक, सूक्ष्म जीवों के प्रभावी प्रकार होते हैं जिनसे पादप पोशक तत्व खपत में सुधार आता है। जब इन्हें बीज या मिट्टी में डालते हैं, तब इनमें उपस्थित सूक्ष्म जीव नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फॉस्फोरस घुलनशीलता और दूसरे विकास वर्धक पदार्थों द्वारा प्राथमिक पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृध्दि करते हैं जिससे पौधों का विकास होता है। प्यालअनुनि मे किए गए प्रयोगों के आधार पर, जैविक उर्वरक एजोस्प्रिलम और फॉस्फोरस घोलनेवाले जीवाणु की 5 कि.ग्रा./हे. की दर से लहसुन फसल के लिए सिफारिश की गई है। सुझाए गए जैव-उर्वरकों को 50 प्रतिशत नमी वाली 100-200 किग्रा गोबर की खाद में अच्छी तरह से मिलाकर उसे रातभर भण्ड़ारित करना चाहिए। इस मिश्रण का प्रयोग रोपाई से पूर्व करना चाहिए।