सितम्बर 2024 के महीने की सलाह
खरीफ प्याज की रोपाई हो चुकी है और पौध लगभग 15-45 दिन की हो गई है। इस माह में पछेती खरीफ की पौधशाला तैयार करनी चाहिए। जिन किसानों ने पहले से पछेती खरीफ की पौधशाला तैयार की है, उनके पौधे रोपाई के लिए तैयार हो चुके होंगे। ऐसी परिस्थितियों में निम्नलिखित सलाह का पालन करना चाहिए।
अ. खरीफ प्याज की खड़ी फसल के लिए
1. अगर निरंतर वर्षा होती है, तब अतिरिक्त पानी ठीक तरह से बाहर निकलना चाहिए ताकि काला धब्बा रोग के प्रकोप से पौध को बचाया जा सकें।
2. रोपाई के 30 दिनों के बाद 25 कि.ग्रा. / हे. की दर से नत्रजन दिया जाना चाहिए।
3. रोपाई के 40-60 दिनों के बाद हाथ से खरपतवार निकालें।
4. रोपाई के 45 दिन बाद फिर 25 कि.ग्रा. / हे. नत्रजन दिया जाना चाहिए।
5. रोपाई के 45, 60 एवं 75 दिनों के बाद पत्तों पर 5 ग्रा./लिटर की मात्रा में सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण के छिड़काव की सिफारिश की गई है।
6. खेत नत्रजन की कमी को पूरा करने के लिए यूरिया का 10 ग्रा./ लिटर की दर से पत्तों पर छिड़काव करने की सिफारिश की गई है।
7. यदि तीन दिन लगातार वर्षा होती है, सापेक्षिक आर्द्रता 85% से अधिक है या बादल छाए हुए हैं, तब किसानों को काला धब्बा रोग के रोकथाम के लिए बेनोमिल का 0.2% की दर से उचित छिड़काव करना चाहिए।
8. बेनोमिल के छिड़काव के 15 दिन बाद मिथोमिल (0.8 ग्रा./ लिटर) में मैन्कोज़ेब (2.5 ग्रा./ लिटर) मिलाकर छिड़काव करने की सिफारिश की गई है। इससे पर्णीय रोग एवं थ्रिप्स के प्रकोप की रोकथाम में सहायता होगी ।
9. यदि उपर दिए गए छिड़काव के बाद थ्रिप्स और पर्णीय रोगों की रोकथाम नहीं होती है, तब प्रोफेनोफॉस (1मि.ली./ लिटर) और हेक्साकोनाज़ोल (1ग्रा. / लिटर) का छिड़काव करें। उसके 15 दिन बाद जरूरत के अनुसार फिप्रोनील (1 मि.ली./ लिटर) तथा प्रोपिकोनाज़ोल (1 ग्रा./ लिटर) को मिलाकर छिड़काव करने की सिफारिश की गई है।
ब. पछेती खरीफ प्याज के लिए खेत की तैयारी
जिन किसानों ने अभी तक पछेती खरीफ प्याज की पौधशाला तैयार नहीं की है, उन्हें पिछले महीने दी गई
सलाह के अनुसार इसे तैयार करना चाहिए। पछेती खरीफ प्याज के पौध की रोपाई के लिए खेत की तैयारी
निम्नलिखित तरीकों से करना चाहिए।
1. खेत में हल से जुताई करनी चाहिए ताकि पिछली फसल के बचे अवशेष एवं पत्थर हट जाए और ढ़ेले टूटकर मिटटी भुरभुरी हो जाएं।
2. सड़ी हुई गोबर खाद 15 ट./ हे. या मुर्गी खाद 7.5 ट./ हे. या केंचूए की खाद 7.5 ट./ हे. आखिरी जुताई के समय डालनी चाहिए तथा क्यारियां बनाने से पूर्व खेत को समान स्तर पर लाना चाहिए।
3. चौड़ी उठी हुई क्यारियां जिनकी ऊंचाई 15 से.मी. और चौड़ाई 120 से.मी. हो और नाली 45 से.मी. हो, तैयार करनी चाहिए। चौड़ी उठी हुई क्यारियां बनाने की तकनीक टपक फव्वारा सिंचाई के लिए उपयुक्त है।
4. टपक सिंचाई के लिए हर चौड़ी उठी हुई क्यारी में 60 सें.मी. की दूरी पर दो टपक लेटरल नालियां (16 मि.मी. आकार) अंतर्निहीत उत्सर्जकों के साथ होनी चाहिए। दो अंतर्निहीत उत्सर्जकों के बीच की दूरी 30-50 सें. मी. और प्रवाह की दर 4 लिटर / घंटा होनी चाहिए।
5. फव्वारा सिंचाई के लिए दो लेटरल (20 मि.मी.) के बीच के दूरी 6 मी. और निर्वहन दर 135 लिटर / घंटा होनी चाहिए।
स. पछेती खरीफ प्याज की रोपाई के लिए
उर्वरकों एवं खरपतवारों के निम्नलिखित तरीकों से इस्तेमाल के बाद रोपाई करना चाहिए।
1. रासायनिक उर्वरको नत्रजन : फॉस्फोरस : पोटाश को 110 : 40 : 40 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर देने की जरूरत है। अगर मिट्टी में पहले से गंधक स्तर 25 कि. ग्रा. / हे. से अधिक है, तब 15 कि. ग्रा. / हे. और यदि यह 25 कि. ग्रा. / हे. से नीचे है, तब 30 कि. ग्रा. / हे. गंधक का इस्तेमाल करें। नत्रजन 40 कि. ग्रा. तथा फॉस्फोरस, पोटाश एवं गंधक की पूरी मात्रा रोपाई के समय देनी चाहिए। नत्रजन की उर्वरित मात्रा दो समान भागों में रोपाई के 30 एवं 45 दिनों के बाद देनी चाहिए।
2. यदि प्याज के लिए टपक सिंचाई प्रणाली का प्रयोग किया गया है, तब 40 कि. ग्रा. नत्रजन रोपाई के समय आधारिय मात्रा के रूप में और उर्वरित नत्रजन का इस्तेमाल छह भागों में रोपाई के 60 दिनों बाद तक 10 दिनों के अंतराल पर टपक सिंचाई के माध्यम से किया जाना चाहिए। फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक का इस्तेमाल आधारिय रूप में रोपाई के समय किया जाना चाहिए।
3. जैविक उर्वरक ऐजोस्पाइरिलियम और फॉस्फोरस घोलनेवाले जीवाणु, दोनों की 5 कि. ग्रा. / हे. की दर से आधारीय मात्रा के रूप में अकार्बनिक उर्वरकों के साथ ड़ालने की सिफारिश की गई है।
4. खरपतवार नियंत्रण के लिए ऑक्सिफ्लोरोफेन 23.5% ईसी (1.5-2 मि.ली./लिटर) या पेंडीमिथालीन 30% ईसी (3.5-4 मि.ली/लिटर) का इस्तेमाल रोपाई से पहले या रोपाई के समय करना चाहिए।
5. लगभग 35-40 दिनों के पौधों की रोपाई पंक्तियों के बीच 15 सें. मी. और पौधों के बीच 10 सें. मी. अंतर रखकर करनी चाहिए।
6. रोपाई के लिए पौध का चयन करते समय उचित ध्यान रखना चाहिए। कम और अधिक आयु की पौध को रोपाई के लिए नहीं लेना चाहिए। रोपाई के पहले पौध के शीर्ष का एक तिहाई हिस्सा काट देना चाहिए।
7. फफूंदी रोगों के प्रकोप को कम करने के लिए पौध की जड़ों को कार्बेन्डाज़िम के घोल (0.10%) में दो घंटे डूबोने के बाद रोपित किया जाना चाहिए।
8. रोपाई के समय तथा रोपाई के तीन दिन बाद सिंचाई करें ताकि पौध अच्छी तरह स्थापित हो सकें।
ड. भंडारित प्याज एवं लहसुन कंदों के लिए
1. भंडारित कंदों की प्रस्फुटन एवं सड़न के लिए नियमित रूप से निगरानी की जानी चाहिए। यदि सड़े या संक्रमित कंद दिखाई दे तो उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए। सुनिश्चित करें कि भंडार गृह में हवा का आवागमन उचित है ।
2. लगभग 4-5 फीट का ढ़ेर बनाकर प्याज के कंदों को अच्छी तरह से फैलाकर रखना चाहिए।
3. लहसुन के कंदों को पत्तों के साथ हवादार भंडार गृह में लटकाकर अथवा ऊपर की ओर कम होते हुए गोलाकार ढ़ेर बनाकर भंडारित करना चाहिए।
टिप्पणी: कार्बोसल्फान, प्रोफेनोफॉस, फिप्रोनील एवं मिथोमिल का प्रयोग थ्रिप्स द्वारा नुकसान के लक्षण दिखाई देने पर ही करें। मैन्कोज़ेब, हेक्साकोनाज़ोल, प्रोपिकोनाज़ोल एवं ट्राईसायक्लाज़ोल का प्रयोग रोग के लक्षण दिखाई देने पर ही करें।