निदेशालय के बारे में:

प्याज एवं लहसुन विश्व भर में व्यंजनो को स्वादिष्ट बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं l भोजन में प्रयोग होने के साथ साथ इनमें बहुमूल्य औषधीय गुण भी हैं। इसके साथसाथ लहसुन में कवकनाशी तथा कीटनाशी गुण भी विघमान हैं। निर्जलित प्याज एवं लहसुन से तैयार सूखा चूर्ण तथा पेस्ट, कृषि औदयोगिकी स्थापित करने का आधार बन सकते हैं।

 चीन के बाद भारत प्याज के क्षेत्रफल (९.५९ लाख हेक्टेयर) तथा उत्पादन (१६३.०९ लाख टन) एवं लहसुन के क्षेत्रफल (२.०२ लाख हेक्टेयर ) तथा उत्पादन (११.५० लाख टन) में दूसरा स्थान रखता है (एफ.ए.ओ.स्टेट.२०१५)। घरेलु आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ - साथ भारत १३.० से १५.० लाख टन प्याज, जिसकी कीमत, ३००० करोड़ रुपये होगी, प्रतिवर्ष निर्यात करता है। (ए.पी.डा. वेबसाइट, २०१४) पिछले पच्चीस सालों में प्याज का उत्पादन २५.०४ से १६३.०९ लाख टन तथा लहसुन २.१६ से ११.५० लाख टन बढ़ गया है। परन्तु वृद्धि मुख्यता उत्पादकता बढ़ने से नही बल्कि क्षेत्रफल के विस्तार होने से आयी है। भारत में प्याज एवं लहसुन की उत्पादकता क्रमश १७.०१ टन हेक्टेयर, और ५.६९ टन हेक्टेयर है जो यू.एस.ए. तथा चीन की तुलना में बहुत कम है। (एफ.ए.ओ.स्टेट.२०१५)। लघुकालीन प्रजातियों की कम उत्पादकता क्षमता, अधिकतम प्रजातियों की बहुत सारे कीट तथा रोग के प्रति संवदेन शीलता और, समुचित तरीके से उत्पादन तकनीकी का प्रयोग न होना ही कम उत्पादकता के कारण हैं।

 देश में प्याज एवं लहसुन की महत्व को समझते हुए भा.कृ.अनु.प.ने 1994 मे आठवीं योजना के अर्न्तगत राष्ट्रीय प्याज एवं लहसुन अनुसंधान केन्द्र की स्थापना नासिक में की l विभिन्न परिस्थ‍ितियो के कारण केंद्र को 16 जून 1998 को राजगुरूनगर में स्थानांतरित कर दिया गया l समय बीतने के साथ प्रयोगशालाओं तथा प्रायोगिक खेतों को विभिन्न सुविधाओं से सुसज्जित किया गया l तत्पश्चात दिसम्बर २००८ में संस्थान को प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के रूप में उन्नत कर दिया गया l देश के विभिन्न २५ संस्थानों के साथ, प्याज एव लहसुन की अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना की स्थापना भी की गयी।

 लक्ष्य

प्याज तथा लहसुन की सर्वंकष वृद्धि के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, निर्यात एवं प्रसंस्करण के संवर्धन को बढ़ावा देना|

जनादेश

· प्याज एवं लहसुन, की आनुवांशिक संसाधनों तथा वैज्ञानिक जानकारियों के एक प्रमुख स्त्रोत के रूप में कार्य करना।

· प्याज एवं लहसुन के उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने हेतु बुनयादी और प्रायोगिक अनुसंधान का कार्य करना।

· प्याज एवं लहसुन के गुणवत्तापुर्ण बीजोत्पादन और तकनिकी विकास हेतु सामरिक अनुसंधान कार्य करना।

· प्रसंस्करण एवं सस्योत्तर प्रंबधन विधियों द्वारा मुल्यवर्धित उत्पादों को विकसित कर उपयोग में लाने हेतु बढ़ावा देना।

· उन्नत तकनीक का प्रसार करना, सलाहकारी और परमर्श सेवाएं प्रदान करना और उघमिता को बढ़वा देना

· राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और निजी संगठनों से सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रमों हेतु नेटवर्क व्यवस्था के अंतर्गत संबंध स्थापित करना।