पोषक तत्व प्रबंधन

प्याज की फसल द्वारा पोषक तत्वों की खपत मुख्य रूप से प्याज की उपज, किस्मों, उर्वरकों की मात्रा, मिट्टी की स्थिति और मौसम पर निर्भर करती है। भा.कृ.अनु.प.-प्या.ल.अनु.नि. राजगुरुनगर में किये गये प्रयोगों से पता चला है कि, 40 ट./हे. प्याज कन्द का उत्पादन करने के लिए 90-95 कि.ग्रा. नत्रजन, 30-35 कि.ग्रा. फॉस्फोरस और 50-55 किलो पोटाश की जरुरत पडती है। प्याज के स्थायी उत्पादन और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न स्रोतों के माध्यम से संतुलित तरीके से पोषक तत्वों के इस्तेमाल की जरुरत होती है। भा.कृ.अनु.प.-प्या.ल.अनु.नि. में किए गए प्रक्षेत्र प्रयोगों के परिणामों के आधार पर मानकीकृत जैविक खाद और उर्वरकों की मात्रा को तालिका 3 में दिया गया है। दीर्घ-दिवस प्याज (पहाड़ियों पर लगने वाला) की उपज क्षमता अधिक है इसलिए इसकी उर्वरक आवश्यकता लघु दिवस प्याज फसल की तुलना में अधिक है।

तालिका 3 . प्याज के लिए उर्वरक कार्यक्रम (प्रति हेक्टेयर)

कार्यक्रम

नत्रजन

फॉस्फोरस

पोटाश

        जैविक खाद

खरीफ प्याज (संभावित उपज - 25-30 ट./हे.)

आधारीय

25 कि.ग्रा.

40 कि.ग्रा.

40 कि.ग्रा.

75 कि.ग्रा. नत्रजन के बराबर जैविक खाद (सड़ी हुई गोबर की खाद -  लगभग 15 ट./हे. या मुर्गी की खाद - लगभग 7.5 ट./हे. या केंचुए की खाद - लगभग 7.5 ट./हे.)

रोपाई से 30 दिनों बाद

25 कि.ग्रा.

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रोपाई से 45 दिनों बाद

25 कि.ग्रा.

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कुल

75 कि.ग्रा.

40 कि.ग्रा.

40 कि.ग्रा.

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पछेती खरीफ और रबी प्याज (उत्पादन क्षमता 40-50 ट./हे.)

आधारीय

40 कि.ग्रा.

40 कि.ग्रा.

60 कि.ग्रा.

75 कि.ग्रा. नत्रजन के बराबर जैविक खाद
(सड़ी हुई गोबर की खाद
लगभग 15 ट./हे. या मुर्गी की खाद - लगभग 7.5 ट./हे. या केंचुए की खाद - लगभग 7.5 ट./हे.)

रोपाई से 30 दिनों बाद

35 कि.ग्रा.

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रोपाई से 45 दिनों बाद

35 कि.ग्रा.

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कुल

110 कि.ग्रा.

40 कि.ग्रा.

60 कि.ग्रा.

 

दीर्घ-दिवस प्याज (उत्पादन क्षमता -100 ट./हे.)

आधारीय

60 कि.ग्रा.

60 कि.ग्रा.

70 कि.ग्रा.

75 कि.ग्रा. नत्रजन के बराबर जैविक खाद
(सड़ी हुई गोबर की खाद
लगभग 15 ट./हे. या मुर्गी की खाद - लगभग 7.5 ट./हे. या केंचुए की खाद - लगभग 7.5 ट./हे.)

रोपाई से 30 दिनों बाद

60 कि.ग्रा.

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--

 

रोपाई से 60 दिनों बाद

60 कि.ग्रा.

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--

 

कुल

180 कि.ग्रा.

60 कि.ग्रा.

70 कि.ग्रा.

 

 

 सिफारिश किए गए नत्रजन की एक तिहाई और फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा रोपण के समय देनी चाहिए जब कि नत्रजन की शेष दो तिहाई मात्रा दो भागों में विभाजित कर रोपण के 30 और 45 दिनों के बाद देनी चाहिए। इसके साथ-साथ गंधक भी प्याज कन्द के तीखापन में सुधार लाने के लिए और प्याज का उत्पादन बढाने के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। अगर गंधक स्तर 15 कि.ग्रा./हे. से उपर है, तब 30 कि.ग्रा./हे. और यदि यह 15 कि.ग्रा./हे. से नीचे है तब 45 कि.ग्रा./हे. गंधक का इस्तेमाल करना चाहिए। दीर्घ-दिवस प्याज की फसलों के लिए 50 कि.ग्रा./हे. गंधक के इस्तेमाल की सिफारिश की गई है। गंधक को रोपाई के समय आधारीय मात्रा के रुप में डाला जाना चाहिए। रोपाई से 45 और 60 दिनों बाद 0.5% की दर से जस्त का पर्णीय छिड़काव करने से प्याज कन्दों के पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार आता है। मृदा परीक्षण में यदि किसी भी सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी का पता चलता है तब उसका एनपीकेएस के अतिरिक्त इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिससे उसकी कमी को दूर किया जा सके। पौधों के वृद्धि के चरणों के दौरान यदि सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का पता चलता है तो पत्तों पर या मिट्टी में संबंधित पोषक तत्वों का इस्तेमाल तुरंत करना चाहिए।

 जैव उर्वरक

 जैविक उर्वरकों में सूक्ष्मजीव उपस्थित होते हैं। जैविक उर्वरकों का उपयोग बीज उपचार या फिर मिट्टी में डालने के लिए किया जाता है। जब इन्हें बीज या मिट्टी में डालते हैं, तब इनमें उपस्थित सूक्ष्म जीव नत्रजन स्थिरीकरण, फॉस्फोरस घुलनशीलता और दूसरे विकास वर्धक पदार्थों द्वारा प्राथमिक पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि करते है जिससे पौंधौं का विकास होता है। प्या.ल.अनु.नि. में किए गए प्रयोगों के आधार पर, जैविक उर्वरक ऐजोस्पाइरिलियम और फॉस्फोरस घोलनेवाले जीवाणु की 5 कि.ग्रा./हे. की दर से प्याज फसल के लिए सिफारिश की गई है। ऐजोस्पाइरिलियम जैविक नत्रजन स्थिरीकरण द्वारा मिट्टी में नत्रजन की उपलब्धता को बढ़ाते हैं और फास्फोरस घोलनेवाले जीवाणु के इस्तेमाल से मृदा में मौजूद अनुपलब्ध फॉस्फोरस पौधों के लिए उपलब्ध होते हैं जिससे फास्फोरस उर्वरकों की क्षमता बढ़ती है।