मई 2018 के महीने की सलाह

. निकासी के लिए तैयार रबी प्याज की फसल के लिए

1. फसल की सिंचाई निकासी के 10-15 दिन पहले बंद कर देनी चाहिए।

2. लगभग 50 प्रतिशत प्याज में गर्दन गिरने पर प्याज निकालने चाहिए।

3. तोर वाले कंद दिखाई देने पर ऐसे कंदों की निकासी तुरन्त करें।

4. प्याज को उखाड़ने के बाद उन्हें पत्तियों समेत 3 दिन तक खेत में रखकर सुखाना चाहिए, जिससे कंद शुष्क होंगे और उनकी जीवनवधि बढ़ जाएगी।

5. तीन दिन खेत में सुखाने के पश्चात 2 से 2.5 सें.मी. गर्दन छोडकर प्याज का ऊपरी हिस्सा काट देना चाहिए और 10-12 दिनों के लिए प्याज को छाया में रखना चाहिए, जिससे कि बेहतर भंडारण हो सके।

6. प्याज को सतह एवं बाजू से हवादार भंडार गृह में भंडारित करना चाहिए।

7. ठीक तरह से वर्गीकृत, अच्छी तरह से सुखाए गए और साफ प्याज का बाजार में विपणन करना चाहिए जिससे कि बेहतर कीमत प्राप्त हो सके।

. खरीफ प्याज की पौधशाला के लिए खेत की तैयारी

जहां पर प्याज की पौधशाला जल्दी तैयार की जाती है, विशेष रूप से कर्नाटक और पश्चिमी महाराष्ट्र में, 15 मई के पश्चात बीज की बुवाई करनी चाहिए। पौधशाला तैयार करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

1. एक हेक्टेयर में रोपाई के लिए पौध प्राप्त करने हेतु लगभग 0.05 हेक्टेयर क्षेत्र की पौधशाला तैयार करने की सिफारिश की गई है।

2. गहरी जुताई की सिफारिश की गई है, जिससे कि कीट के कोश खरपतवार के बीज सूर्य के प्रकाश में आकार नष्ट हो जाए।

3. क्यारियां तैयार करने से पहले पिछले फसल के बचे हुए अवशेष, खरपतवार और पत्थर हटा देने चाहिए।

4. अच्छी तरह से सड़ी हुई आधा टन गोबर की खाद 0.05 हेक्टेयर में ड़ाले।

5. पौधशाला के लिए 10-15 सें.मी. ऊंचाई, 1 मी. चौड़ाई और सुविधा के अनुसार लंबाई की उठी हुई क्यारियां तैयार की जानी चाहिए।

6. पौधशाला में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरंत बाद  0.2% पेंडीमिथालिन के इस्तेमाल की सिफारिश की गई है। यह खरपतवार नाशक खरपतवारों को उगने से पूर्व नष्ट कर देता है।

7. लगभग 5-7 कि.ग्रा. बीज एक हेक्टेयर में पौध लगाने के लिए आवश्यक है।

8. बुवाई से पहले बीज का उपचार थिरम 2 ग्रा./ कि.ग्रा. बीज की दर से करें। यह आर्द्र गलन रोग से बचने में सहायता करता है।

9. आर्द्र गलन से बचने एवं स्वस्थ पौध प्राप्त करने के लिए बुवाई के पूर्व ट्रायकोडरमा विरीडी का 1250 ग्रा./ हे. की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर उपयोग करने की भी सिफारिश की गई है

10. बीज 50 मि.मी. से 75 मि.मी. के अंतर पर कतार में बोया जाना चाहिए। बुवाई के बाद बीज को महीन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट से ढ़का जाना चाहिए और फिर हल्के पानी का छिड़काव करना चाहिए।

. भंडारित प्याज और लहसुन कंदों के लिए

1. भंडारित प्याज की नियमित रूप से निगरानी की जानी चाहिए।ड़े या संक्रमित कंदों को हटाकर गड्ढे में डाल देना चाहिए।

2. भंडारण में ऊचित हवा का प्रबंधन हो और कंदों को अधिक नमी से बचाया जाए।

. निकासी के लिए तैयार बीज उत्पादन हेतु लगाई प्याज फसल के लिए

जिन्होंने अभी तक बीज उत्पादन हेतु लगाई प्याज फसल की निकासी नहीं की है, उन्हें अब निकासी कर लेनी चाहिए। निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें।

1. पुष्पछत्रों में 50% बीज काले हो जाने पर पुष्पछत्रों की कटाई करें।

2. परिपक्वता के बाद तीन से चार बार पुष्पछत्रों की कटाई समय-समय पर करते रहना चाहिए।

3. पुष्पछत्र को खुली धूप में सुखाया जाना चाहिए। बीज की गहाई रोलिंग या खलिहान मशीन द्वारा की जा सकती है।

4. बीज को 6% से कम नमीं होने तक सुखाना चाहिए और साफ बीज को 400 गेज वाली पॉलिथीन की थैलियों में अच्छी तरह बंद कर रखना चाहिए।